Wednesday, 30 April 2025

उस्ताद मुश्ताक अली ख़ान ustad Mushtaq Ali khan

 उस्ताद मुश्ताक अली ख़ान ustad Mushtaq Ali khan (सितार वादक)

मुश्ताक अली खाँ का जन्म 20 जून 1911 को बनारस में प्रसिद्ध सितार वादक आशिक अली जी के घर हुआ। 

वंश परंपरा:  इनका संबंध एक प्रसिद्ध संगीत घराने से है। घराने की परंपरा सेनिया घराने से जा मिलती है। वारिस अली खाँ (वीण कार) अकबर अली खाँ (टप्पा गायक), निसार अलि खाँ (गायक) जैसे कलाकार इनके पूर्वज थे। यह सभी कलाकार सम्राट बहादुर शाह के साथ बनारस तक आए थे और फिर वहीं रहने लगे तभी से इनका परिचय बनारस का कहलाता है। 

संगीत शिक्षा: संगीत की प्रारंभिक शिक्षा आपको अपने पिता उस्ताद आशिक अली खाँ से मिली जो प्रसिद्ध सितार वादक थे। अभी आप 15-16 वर्ष के ही थे। सितार बजाने में आपनै खूब प्रसिद्धि प्राप्त की, सुरबहार बजाने में भी आप प्रवीण थे। 

वादन शैली
1. आप जी की वादन शैली का एक अलग ही रंग था। आप जी की वादन शैली आप जी की पिता जी के वादन शैली के समान थी।

2. आप द्रुतगत का प्रयोग अधिक करते थे, विलम्बित गत का प्रयोग कम करते थे।

3. सबसे पहले आप जौनपुर में दरबारी संगीतकार नियुक्त हुए। तथा कुछ ही समय बाद आप जी ने अपना स्वतंत्र रूप में अपना व्यवसाय शुरू कर दिया। 

4. 1969 में आप ने ऑल इंडिया रेडियो से सितार बजाया। और फिर 1940-50 के बीच में आपका नाम बहुत रोशन हुआ।

5. आप को 1968 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। 

6. इनके शिष्यों में निर्मल गुहा, निताई बाँस, शिप्रा चौधरी, डॉ. देबू  चौधरी के नाम विशेष हैं। 

7. आप हिन्दुस्तान के इकलौते सुर बहार वादक हुए जिन्होंने बिना अंग को प्रयोग तथा तीन मिज़राब के साथ किया वो भी पखावज, परंगत, द्रुपद अंग में बजाते थे। 

देहांत: मुश्ताक अली खाँ और उनकी बेगम खनीज खातुन ने भारतीय संगीत को आगे बढ़ाने के लिए खूब मेहनत की। भारतीय संगीत की सेवा करते हुए आप अंत में 21 जुलाई 1989 को स्वर्ग सिधार गए।

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