Sunday, 6 April 2025

वर्ण varn definition in hindi in music.

 वर्ण

पंडित अहोबल ने “संगीत परिजात” में वर्ण की जो परिभाषा दी है, उसका अर्थ है “गायन की क्रिया का स्वरों के साथ विस्तार करना वर्ण कहलाता है।” उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि गाते या बजाते समय स्वरों के प्रयोग से आवाज को जो चाल मिलती है, उसे ‘वर्ण’ कहते है।

वर्ण के प्रकार: वर्ण चार प्रकार के है –
1. स्थाई वर्ण 
2. आरोही वर्ण 
3. अवरोही वर्ण 
4. संचारी वर्ण 

1. स्थाई वर्ण:- जब एक ही स्वर का बार-बार उच्चारण किया जाता है अर्थात एक ही स्वर पर स्थिर होने को स्थाई वर्ण कहते हैं।  जैसे: स स, रे रे, ग ग आदि।

2. आरोही वर्ण:- नीचे के स्वरों से ऊपर के स्वरों तक जाने की क्रिया को आरोही वर्ण कहते हैं। जैसे: स, रे, ग, म, प।

3. अवरोही वर्ण: ऊपर के स्वरों से नीचे के स्वरों तक आने की क्रिया को अवरोही वर्ण कहते हैं। जैसे: स, नि, ध, प आदि।

4. संचारी वर्ण: स्थाई वर्ण, आरोही वर्ण, अवरोही वर्ण इन तीनो के मिश्रित रूप को संचारी वर्ण कहते है। जैसे: स स, रे रे, स रे ग म, म ग, रे स।

महत्व 
1. वर्ण गायन के सभी प्रकारों में सुंदरता और रंजकता पैदा करता है।
2. वर्ण के द्वारा ही किसी राग का चलन निर्धारित होता है। 
3. कई रागो में अनेक समानताएँ होने के बाद भी वर्ण भेद से एक दूसरे से भिन्न हो जाता है।

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