अलंकार
अलंकार संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है आभूषण या गहना। जिस प्रकार आभूषण या गहनों से हम अपने आप को सजाते है, उसी प्रकार अलंकार से संगीतकार गायन और वादन को सजाते है।
परिभाषा: नियमबद्ध विशेष प्रकार का वह वर्ण समूह जिस में आरोह-अवरोह दोनों हो अलंकार कहलाता है।
अलंकार के प्रकार:
1. सरल अलंकार
2. अर्द्ध जटिल अलंकार
3. जटिल अलंकार
अलंकार के नियम:
1. सभी अलंकार 'स' स्वर से शुरू होते है।
2. अलंकार में आरोह अवरोह दोनों होते है।
3. अलंकार शुद्ध स्वरों के इलावा विकृत स्वरों के भी बनते है।
4. अलंकार में स्वरो का निश्चित क्रम होता है।
अलंकारों का महत्व:
भरत मुनि जी अपने ग्रंथ 'नाट्य शास्त्र' में लिखते है कि अलंकारों के बिना गीत वैसे ही प्रतीत होता है जैसे चंद्रमा के बिना रात, जल के बिना नदी और फूल के बिना लता तथा आभूषण के बिना स्त्री शोभा नहीं देती। उसी प्रकार अलंकारों के बिना गीत भी शोभा नहीं देता।
अलंकार के अभ्यास से स्वर ज्ञान तथा लय ज्ञान होता है।
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