ustad Inayat khan उस्ताद इनायत ख़ान (सितार वादक)
जन्म एवं शिक्षा: प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद इनायत ख़ान का जन्म 16 जून 1895 को इटावा में हुआ था।आपके पिता इमदाद खाँ एक अच्छे सितार वादक थे। इनायत खाँ अपने पिता के साथ काफी समय इंदौर दरबार में रहे और वहीं पिता द्-वारा आपको सितार की शिक्षा मिली। और अपने भाई वहीद खाँ से सुरबहार (instrument) सीखा।
नियुक्त: पिता के देहांत के बाद आप कलकत्ता आ गए और वहाँ गौरीपुर रियासत में आपको सम्मान से नियुक्त किया गया।
संगीत जगत को देन:
1. वादन शैली: इनके सितार वादन में अनोखापन था और वह भाव था। सितार के आलाप अंग पर आप विशेष जोर देते थे। उस समय आपकी कलाकारी के कारण सितार वादन बहुत लोकप्रिय हुआ और इनकी वादन शैली भी सफलता के शिखर पर पहुँची क्योंकि इससे पहले 1 सितार वादन की स्वतंत्र वादन शैली कायम नहीं थी।
1. आपने कलकत्ता में अपने अनेकों शिष्यों को अपनी वादन शैली में निपुण किया। इस प्रकार इनकी वादन शैली को बहुत सम्मान दिया।
2. आपने सितार पर बजाई जाने वाली अनेक रचनाएँ बनाई।
3. आपके वादन में मिज़राब के बोल अलग प्रकार के थे।
4. आप रागो में विवाद स्वर का प्रयोग खूब करते थे।
5. आपके सितार वादन में स्वर, लय, और ताल का विशिष्ट काम था।
6. आपके घराने में जोड़ आलाप और ताल प्रधान है।
7. आप सुर बहार भी बजाते थे। इन्होंने कई जगह सुर बहार व सितार वादन का प्रदर्शन किया।
8. इनके शिष्य नक्षत्रों की भांति देश में अपनी चमक फैला रहे हैं।
i) विलायत खाँ
ii) इमरत खाँ
9. आपको इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ ने सितार वादन के लिए इंग्लैंड में बुलाया था।
10. राग बिहाग, मालकौंस, बागेश्वरी आदि आपके प्रिय राग थे।
संगीत के क्षेत्र में यह आपका ऐसा योगदान है जिसे संगीत जगत भुला नहीं सकता।
10 नवंबर 1938 को इनका देहांत हो गया।
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