Friday, 11 April 2025

तान taan definition in music

 तान 

तान का अर्थ है विस्तार करना। इसमे गीत का विस्तार होता है तथा चमत्कार की उपज होती है। किसी राग के स्वरो को द्रुत अर्थात्‌ तेज लय तथा आकार में गाने को तान कहते है।  आलाप की लय धीमी होती है और आलाप भाव प्रधान होते है। तान की द्रुत होती है और कला प्रधान होती है। 

1. जब तान में गीत के बोलो का प्रयोग करते हैं तो उसे बोल तान कहते है। 
2. तान को गाते समय राग के वादी, सम्वादी तथा वर्जित स्वरो का ध्यान रखा जाता है।
3. तानों में लय का महत्व ज्यादा होता है इसलिए छोटे ख़्यालों में या द्रुत गत में बराबर की लय या दुगुन में या बड़े ख्याल में चौगुन या अठगुन में गायक गाने गाते हैं। 

तानों के कई प्रकार प्रचलित हैं जिनमें से प्रमुख हैं —
1. शुद्ध तान: इस तान को ‘सपाट तान’ भी कहते है। जिस तान को राग के आरोह अवरोह में क्रमानुसार गाया जाए उसे शुद्ध तान कहते है। 

2. कूटतान: जिस तान में स्वर क्रमानुसार न होकर टेढ़े-मेढ़े हो उसे कूट तान कहते है।

3. मिश्र तान: जिस तान में शुद्ध और कूट तान मिश्रण हो उसे मिश्र तान कहते है।

4. छूट की तान: जब कोई तान तेज गति से ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर या नीचे से ऊपर गई जाए तो उसे छूट की तान कहते है। 

5. दानेदार तान: जिस तान में कण का प्रयोग होता है। उसे दानेदार तान कहते है।

6. गमक तान: जिस तान में गमक का प्रयोग होता है, उसे गमक की तान कहते है।

7. बोल तान: जिस तान में स्वरों की जगह बंदिश के बोलो का प्रयोग हो उसे बोल तान कहते है।

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